जीवन में आध्यात्मिक -भौतिक दोनों पक्ष महत्वपूर्ण है, परन्तु यह भी अकाट्य सत्य है कि भौतिक जीवन की पूर्णता से ही आध्यात्मिक ज्ञान, चेतना का विस्तार होता है। मांतगी महाविद्या गृहस्थ जीवन में रस, भोग-विलास, आनन्द तत्व को प्रदान करने में पूर्ण सक्षम महाविद्या है, यह साधना गृहस्थ जीवन में सर्व सुख प्रदायिनी महाविद्या स्वरूप है।
समस्त जगत जिस शक्ति से चलित है, उस शक्ति के दस स्वरूप दस महाविद्यायें, जिनमें नवनिधि स्वरूप में भगवती मातंगी विद्यमान हैं। भगवान शिव के मतंग रूप में उनकी अर्द्धांगिनी होने के कारण ही उनकी संज्ञा मांतगी रूप में विख्यात हुई। काम की अधिष्ठात्री देवी है मातंगी रूप, रस, यौवन, विलास, ऐश्वर्य, गृहस्थ सुख एवं भोग को प्रदान करने वाली दस महाविद्याओं में श्रेष्ठ मातंगी साधना जीवन के भौतिक पक्ष को पूर्ण कर देती है। इस साधना को सम्पन्न करने से जीवन में अनेक सुस्थितियों का निर्माण होता ही है।
जीवन में भगवती मातंगी की साधना प्राप्त होना सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। विश्वामित्र ने तो यहां तक कहा है कि- बाकी नौ महाविद्याओं का भी समावेश मातंगी साधना में स्वतः ही हो गया है, क्योंकि मतंग स्वरूप में शिवमय युक्त विद्यमान हैं, चाहे हम बाकी नौ साधनाएं न भी करें और केवल मातंगी साधना को ही सम्पन्न कर लें तो भी अपने आप में पूर्णता प्राप्त हो सकती है। इसीलिए तो शास्त्रों में मातंगी साधना की प्रशंसा में कहा गया है-
मातंगी शब्द जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करने की क्रिया का नाम है, जिससे जीवन के दोनों ही पक्षों को पूर्णता मिलती है, परन्तु मातंगी साधना साधकों के मध्य विशेष रूप से जीवन के भौतिक पक्ष को सुधारने के लिए ही की जाती है। मातंगी शब्द जीवन के प्रत्येक पक्ष को उजागर करने की क्रिया का नाम है और जीवन के सैकड़ों पक्ष हैं, जहां भौतिक पक्ष है- स्वास्थ्य, आय, धन, कुटुम्ब सुख, पत्नी, पुत्र, पुत्रियां, गृहस्थ सुख, पूर्ण आयु, भवन सुख, अकाल मृत्यु निवारण, शत्रु निवारण, भाग्योदय, राज्य सुख, यात्राएं और सैकड़ों प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति ये सभी स्थितियां मातंगी साधना से प्राप्त हो सकती हैं। यदि हम पूर्ण मनोभाव, श्रद्धा के साथ मातंगी साधना को भली प्रकार से सम्पन्न कर लें, तो निश्चय ही जीवन में सर्व अनुकूल स्थितियों की प्राप्ति होती ही है।
प्रायः देखा गया है, कि धन-धान्य से व्यक्ति परिपूर्ण तो होता है, परन्तु उसके जीवन में इतना अधिक तनाव व्याप्त हो जाता है, कि सब कुछ होते हुए भी उसके पास कुछ नहीं होता। इस साधना के बाद जीवन में उमंग और उल्लास का वातावरण सदैव बना रहता है। शीघ्र विवाह हेतु भी मातंगी साधना सर्व स्वरूप में लाभप्रद है। पुत्र अथवा पुत्री के विवाह में यदि बाधा आ रही हो, तो वह शीघ्र ही समाप्त हो जाती है तथा योग्य वर/वधु की प्राप्ति होती है।
नूतन वर्ष के प्रारम्भ से नवरात्रि के चैतन्य दिवसों में इस विशिष्ट महाविद्या की साधना प्रत्येक साधक को सांसारिक जीवन में सर्व अनुकूलता व भोगमय सुखद जीवन की प्राप्ति हेतु निश्चित रूप से करनी चाहिये, क्योंकि सांसारिक जीवन में सुख-समुद्धि के बाद ही आध्यात्मिक जीवन का विस्तार संभव हो पाता है।
इस साधना को नूतन वर्ष की प्रथम नवरात्रि में सम्पन्न करने से जीवन की विषमताओं, दुःखों का नाश होता है, अतः प्रतिपदा को प्रातः स्नान कर गुरु पूजन सम्पन्न कर साधना सफलता के लिए प्रार्थना करें। सर्वप्रथम मातंगी यंत्र हाथ में लेकर जल से स्नान कराएं, फिर उसे पोंछ कर किसी पात्र में स्थापित करें। यंत्र का कुंकुम अक्षत से पूजन कर धूप-दीप दिखायें। इसके पश्चात् दोनों हाथ जोड़कर भगवती मातंगी का ध्यान करें-
श्यामां शुभ्रांशु भालां त्रिनयनं कमलां रत्नसिंहासनस्थां,
भक्ता भीष्ट प्रदात्रीं सुरनिकरासेव्यकज्जांघ्रियुग्माम्।
नीलाम्भोजांशुकान्तिं निशिचर निकरारण्य दावाग्निरूपां,
पाश खड्गं चतुभिर्वरकमल करैः चेटकञ्चांकुशञ्च।
मातंगीमावहन्ती मभिमतफलदां मोदिनीं चिन्तयामि।
हाथ में जल लेकर विनियोग करें- ऊँ ह्रीं मातंग्यै नमः।
आवाहन- आवाहन भाव के साथ पुष्प अर्पित करें।
श्री मातंग्यै नमः पुष्पासनं समर्पयामि नमः।
पाद्य- दो आचमनी जल चरणों में समर्पित करें-
श्री मातंग्यै नमः पादयोः पाद्यं समर्पयामि नमः।
अर्घ्य- अर्घ्य पात्र में जल, अक्षत, कुंकुम मिलाकर अर्पित करें-
श्री मातंग्यै नमः अर्घ्य समर्पयामि नमः।
मधुपर्क- दही, घी एवं शहद मिला कर अर्पित करें-
श्री मातंग्यै मधुपर्कं समर्पयामि नमः।
आचमन- तीन आचमनी जल चढावें-
श्री मातंग्यै मधुपर्कं समर्पयामि नमः।
शुद्ध जल स्नान- तीन आचमनी जल चढ़ावें-
श्री मातंग्यै नमः सांग स्नानं समर्पयामि नमः।
इसके बाद मातंगी सिद्धि माला से निम्न मंत्र का राम
नवमी तक नित्य तीन-तीन माला मंत्र जप करें।
साधना समाप्ति के बाद साधक यंत्र व माला को किसी शुद्ध पवित्र नदी में विसर्जित कर दें अथवा गुरु चरणों में व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से अर्पित करें।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,